लेखक आशुतोष तिवारी कमाल है । भारत की राजनीति में इतनी दिलचस्प हलचलें हैं ,जो चौंकाने का मौक़ा कभी नहीं छोड़ती ।हम हार्दिक पटेल की भाजपा में शामिल होने की ख़बरों से उबर ही पाए थे कि पता चला मोहन भागवत ने ज्ञानवापी विवाद पर एक ‘अलग कहा का जा सकने’ वाला बयान दे दिया है । उस बयान […]
Read MoreWritten By Bhavya Bhardwaj India’s parliamentary democracy stands at a tough crossroads today. The ever-growing strength of the ruling party both in electoral numbers and in the larger narrative shaping the country, without alternative voices finding much traction amongst the masses, signals a dangerous trend in the democratic history of India. The last decade has […]
Read MoreWritten by Avi Gupta Winston Churchill once famously said that democracy was ‘the worst form of government.’ He made a rather good point for, in so many ways, it is a flawed and unsatisfactory system. Churchill, of course, knew a lot about the subject; twice Prime Minister of Great Britain, a prolific author of political […]
Read MoreWritten By Gurmehar Kaur An Indian mind, at any given time, is subconsciously consumed with two things: Bollywood and politics. In between college classrooms, library sessions for the assignment due, the big presentation for the meeting, the next chunk of manual duty, the next customer on your tea stall, and the next meeting to be […]
Read Moreलेखक ज़ैद चौधरी सिर पे टोपी लाल हाथ में परचा है कमाल, सिब्बल का क्या कहना। ये तस्वीर और इसमें मुस्कुराते कपिल सिब्बल, सीना फुलाते अखिलेश पर यदि गौर किया जाए तो लगेगा बादशाह सलामत किस गर्व से नए सिपेसलार को नवाज़ रहे हैं। इतिहास गवाह है गैर लोकतांत्रिक हुकुमतों में कुर्सी जाते ही जेल […]
Read MoreWritten by Bhavya Bhardwaj Greetings for World Bicycle Day! The modern world has been a witness to millions of human inventions that have made life convenient and easier. To save time from walking, humans have by now made several innovations that have made traveling from one place to another super quick yet the invention of […]
Read Moreअसल जीवन में कभी कवि, कभी नेता की भूमिका निभाने वाले कुमार विश्वास पर किसी राजनीतिक पार्टी को इतना विश्वास न हुआ कि उनको कोई पद या जिम्मेदारी देता। एक उम्मीद थी कि शायद इस बार कांग्रेस की कश्ती में सवार होकर, वह राज्य सभा पहुंच जाएँ। लेकिन यह भी हो न सका और कुमार के साथविश्वास की कमी का इतिहास फिर दोहराया गया।
Read Moreलेखक प्रशांत शुक्ल देश को आज़ादी 1947 में मिली और 1950 में गणतंत्र स्थापित हुआ। लेकिन स्वतंत्र भारत की पहली अग्निपरीक्षा साल 1951-52 में तब हुई, जब सैकड़ों बरस की गुलामी के बाद आम चुनावों की जिम्मेदारी देश के कंधों पर पड़ी। इस चुनाव की प्रक्रिया साल 1948 से ही शुरू हो गई थी लेकिन […]
Read Moreलेखक आशुतोष तिवारी आम आदमी पार्टी देश के लगभग हर राज्य में अपनी पहुंच बढ़ाने की कोशिश कर रही है। राजधानी दिल्ली में पार्टी राजनीतिक तौर पर नियंत्रक की भूमिका में है। पंजाब में आम आदमी पार्टी ने लगभग चौंकाती वाली संख्या के साथ सरकार बनाई है। पिछले निकाय चुनावों में, ख़ास तौर पर गुजरात […]
Read Moreलेखक: प्रशांत शुक्ला आज़ादी के बाद देश में पहला आम चुनाव 1951 में हुआ। यह चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न हुआ और नेहरू आज़ाद हिंदुस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने। दूसरा चुनाव 1957 में हुआ। यह चुनाव देश के चुनाव आयोग के लिए चुनौतियों भरा था। देश के पहले चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन की देखरेख वाला यह दूसरा […]
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